कविता लिखने कलम उठाई
मुद्दों विचारों सोचों
का मचा झंझावात
कलम रखी
सो गया
कमबख्त
नींद भी नहीं आई
मुद्दों विचारों सोचों
का मचा झंझावात
कलम रखी
सो गया
कमबख्त
नींद भी नहीं आई
देखा पानी लगी प्यास... ऐसा ही है मेरा ब्लॉग की दुनिया में आना। देखा-देखी। दूर-दूर तक कोई इरादा नहीं था, पर अब जब सभी लोग कर रहे हैं तो सोचा हाथ आज़माया जाए। पर इतना तय है कि अब आ गया हूं तो कुछ अच्छा करके ही जाऊंगा।