May 8, 2012

ख़्वाबों में ख़्यालों में - अश्वनी

मेरी नींद में इक ख़्वाब है 
मेरी नींद इक ख़्वाब है 
ख़्वाब में अक्सर कह देता हूँ दिल की 
ख़्वाब में अक्सर समझता हूँ उसके दिल की

ख़्वाब की ज़ुबान जुदा है 
ख़्वाब में बहुत ज़्यादा बोलना सुनना नहीं पड़ता 
ख़्वाब बहुत समझदार होते हैं
इशारों को समझ जाते हैं
आँखों की हरकत
होंठों की जुंबिश
धड़कन की आवाज़
रूह की लरज़
दिल की तर्ज़
सब समझ जाते हैं

हकीकत में जो इश्क ख़्वाब लगे
ख़्वाब में वो हकीकत लगता है
ख़्वाब में सरहद वीज़ा नहीं होता
पूरी दुनिया पलों में घूम आता हूँ
ख्वाब में मैं हर जुबां बोल लेता हूँ 
ख़्वाब में मैं कहीं भी खुद को अजनबी नहीं पाता

इतना सही है ख़्वाब में जीना
तो
क्यूँ जीना पड़ता है हकीकत में
मैं ख़्वाब में जीने का ख़्वाब देखता हूँ
मैं अक्सर ख़्वाब में इक ख़्वाब देखता हूँ
मेरी नींद में इक ख़्वाब है 
मेरी नींद इक ख़्वाब है
ख़्वाब में अक्सर कह देता हूँ दिल की 
ख़्वाब में अक्सर समझता हूँ उसके दिल की

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया अश्विनी भाई बहुत बढ़िया.....

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  2. inception!!!!!
    dream within a dream..........
    :-)

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