May 28, 2012

किस्मत हो सकता है इसका शीर्षक - अश्वनी

बहना नाँव की किस्मत है
डूबना भी
नदी की किस्मत है सागर
बाँध भी
चमकना चाँद की किस्मत है
ग्रहण भी
मिट्टी की किस्मत है जिस्म
खिलौना भी
धड़कना दिल की किस्मत है
टूटना भी
इज़हार की किस्मत है हाँ
ना भी
उड़ना पतंग की किस्मत है
कटना भी
किस्मत की किस्मत है खुल जाना
बंधना भी

मेरी किस्मत है तू

नहीं भी

May 8, 2012

ख़्वाबों में ख़्यालों में - अश्वनी

मेरी नींद में इक ख़्वाब है 
मेरी नींद इक ख़्वाब है 
ख़्वाब में अक्सर कह देता हूँ दिल की 
ख़्वाब में अक्सर समझता हूँ उसके दिल की

ख़्वाब की ज़ुबान जुदा है 
ख़्वाब में बहुत ज़्यादा बोलना सुनना नहीं पड़ता 
ख़्वाब बहुत समझदार होते हैं
इशारों को समझ जाते हैं
आँखों की हरकत
होंठों की जुंबिश
धड़कन की आवाज़
रूह की लरज़
दिल की तर्ज़
सब समझ जाते हैं

हकीकत में जो इश्क ख़्वाब लगे
ख़्वाब में वो हकीकत लगता है
ख़्वाब में सरहद वीज़ा नहीं होता
पूरी दुनिया पलों में घूम आता हूँ
ख्वाब में मैं हर जुबां बोल लेता हूँ 
ख़्वाब में मैं कहीं भी खुद को अजनबी नहीं पाता

इतना सही है ख़्वाब में जीना
तो
क्यूँ जीना पड़ता है हकीकत में
मैं ख़्वाब में जीने का ख़्वाब देखता हूँ
मैं अक्सर ख़्वाब में इक ख़्वाब देखता हूँ
मेरी नींद में इक ख़्वाब है 
मेरी नींद इक ख़्वाब है
ख़्वाब में अक्सर कह देता हूँ दिल की 
ख़्वाब में अक्सर समझता हूँ उसके दिल की

May 2, 2012

बिना यादों के - अश्वनी

यादों ने जब सताया 
यंत्रणा की हद तक
मैंने मांगी मन्नत
ख़तम हो यादें
पाताल में जाए यादों का सिलसिला
मन्नत हुई पूरी
एक सुबह जब जागा तो 
खुद को यादों से तन्हा पाया
दोपहर तक खुश रहा
शाम होते बेचैनी शुरू हुई
रात में बेचैनी तकलीफ बन गई
करवट में गई रात
सुबह मनहूस लगी
याद थी तो परेशान करती थी
नहीं है तो बर्बाद कर रही थी 
फिर उठे हाथ मन्नत को
याद रहने दे बाकी 
चाहे तो मिटा दे मुझको
पाताल में डाल मेरी हस्ती
पर मेरी यादें रखना जिंदा

यादों के बिना 
मिटा ही तो पड़ा था  
हस्ती भी कहाँ थी मेरी 
बिना यादों के