कसमसाहट नहीं हटती
बैचनी नहीं घटती
बेसूकूनी नहीं जाती
कोई ऐसा है?
जो
शांत रहा हो..चैन से जिया हो..सुकून से गया हो
अगर ऐसा है कोई
तो
वही है भगवान..खुदा..परमात्मा..ईश्वर
मेरे लिए
जो सूली पे लटका
आरी से काटा गया
कढाहे में उबाला गया
तमाम दुःख ज़ुल्म सहे
वो कैसा भगवान
भगवान सी शक्ति होती
तो चुन ना लेता अपने लिए तमाम सुविधायें
सुकून चैन और शान्ति
भगवान है या नहीं है
ये दुनिया भर में बहस का सबसे लोकप्रिय मुद्दा है
मैं कभी भी इस बहस में नहीं पड़ता
मैं हमेशा ये मान के चलता हूँ कि भगवान है
अक्षम सा सहमा सा
दबा कुचला उपेक्षित शोषित पीड़ित गरीब
जो आजकल कुछ ज़्यादा ही दिखाई पड़ने लगा है
वही है भगवान
स्वर्ग में प्रवेश निषेध है जिसका
जन्नत से धकिआया जिसको
हर अच्छी सुंदर रमणीय जगह से निष्काषित
इंसान का रूप धर धरती पे पिसने को मजबूर
सर्वहारा(सब कुछ हार गया हो जो)वर्ग का मनुष्य ही भगवान है दरअसल
अब देखो ना
कितना विवश और अक्षम है भगवान
कि जितना भी कोसो गलियाओ
कुछ रीऐक्ट ही नहीं करता
सही में चमत्कारी शक्तिशाली मायावी होता
तो मुझे श्राप न दे देता?
मुझे बना देता
तोता मेंढक या कबूतर
नोट- मैं अपनी इस बात को बहुत देर तक और बहुत दूर तक ले जा सकता हूँ....पर मुझे पता है कि इस सफ़र में मेरे साथ कोई नहीं जाएगा..क्योंकि मेरे साथ वालों को हाज़िरी लगाने जाना है मंदिर मस्जिद चर्च और गुरुद्वारे में...
बैचनी नहीं घटती
बेसूकूनी नहीं जाती
कोई ऐसा है?
जो
शांत रहा हो..चैन से जिया हो..सुकून से गया हो
अगर ऐसा है कोई
तो
वही है भगवान..खुदा..परमात्मा..ईश्वर
मेरे लिए
जो सूली पे लटका
आरी से काटा गया
कढाहे में उबाला गया
तमाम दुःख ज़ुल्म सहे
वो कैसा भगवान
भगवान सी शक्ति होती
तो चुन ना लेता अपने लिए तमाम सुविधायें
सुकून चैन और शान्ति
भगवान है या नहीं है
ये दुनिया भर में बहस का सबसे लोकप्रिय मुद्दा है
मैं कभी भी इस बहस में नहीं पड़ता
मैं हमेशा ये मान के चलता हूँ कि भगवान है
अक्षम सा सहमा सा
दबा कुचला उपेक्षित शोषित पीड़ित गरीब
जो आजकल कुछ ज़्यादा ही दिखाई पड़ने लगा है
वही है भगवान
स्वर्ग में प्रवेश निषेध है जिसका
जन्नत से धकिआया जिसको
हर अच्छी सुंदर रमणीय जगह से निष्काषित
इंसान का रूप धर धरती पे पिसने को मजबूर
सर्वहारा(सब कुछ हार गया हो जो)वर्ग का मनुष्य ही भगवान है दरअसल
अब देखो ना
कितना विवश और अक्षम है भगवान
कि जितना भी कोसो गलियाओ
कुछ रीऐक्ट ही नहीं करता
सही में चमत्कारी शक्तिशाली मायावी होता
तो मुझे श्राप न दे देता?
मुझे बना देता
तोता मेंढक या कबूतर
नोट- मैं अपनी इस बात को बहुत देर तक और बहुत दूर तक ले जा सकता हूँ....पर मुझे पता है कि इस सफ़र में मेरे साथ कोई नहीं जाएगा..क्योंकि मेरे साथ वालों को हाज़िरी लगाने जाना है मंदिर मस्जिद चर्च और गुरुद्वारे में...
किसने कहा श्राप नहीं दिया????
ReplyDeleteतोता मेंढक या कबूतर नहीं बनाया...इंसान बनाये रखा....भुगतो अब!!!!!
hahahahaha....sahi baat..
Deleteएक तो इंसान....और ऊपर से कवि.....
Delete:-)
कोई ऐसा है?
ReplyDeleteजो
शांत रहा हो..चैन से जिया हो..सुकून से गया हो
अगर ऐसा है कोई
तो
वही है भगवान..खुदा..परमात्मा..ईश्वर
मेरे लिए
waah
samajh mein nahi aayi mujhe...well aisa mere saath aksar hota hai, aapki kavita ka koi dosh nahi, u write 'exceptionally' good, method writing hoti hai aapki :)
ReplyDeletesamajhna nahi hota kuchh..kahin halka saa kuchh mehsoos ho...chhoo jaaye..wahi bahut
Deleteअगर कोई पूरी कविता न पढ़े और स्क्राल करते करते आखिर की चार लाइनें पढ़ ले तो भी गजब सोच की गहराई का अहसास हो जाता है...अच्छा है यूं ही इतना कुछ कह देना
ReplyDeletebahut sundar, aapki ye kavita vo bakhoobi samajh sakta hai jo khud aesa hi sochta ho, sacch mein is nazariye se koi sochkar itni sundar kavita likhega ,socha nahi tha , padhkar bahut accha laga
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