December 31, 2009

प्लीज़-अश्वनी

उथल पुथल कर दूं सब
पटक पछाड़ दूं सब
राख कर दूं
ख़ाक कर दूं
आग लगा दूं
मिटा दूं जो था अब तक
इस समय है जोश पूरा
खो रहा हूँ होश थोड़ा
सांस ही है साथ मेरे
कोई नहीं है पास मेरे
पास अँधेरे ,दूर सवेरे
सांस की बस थाम डोर
मैं चला अनजान छोर
रात मिलेगी या कि भोर
खुद की बात,खुद की रात,खुद का हूँ मैं खुद ही चोर
यह मेरे दिल का बवंडर ,दिल ही खाली ,दिल समंदर
दिल ही चोर,दिल की भोर,दिल ही ओर,दिल ही छोर
दिल ही दिल्ली,दिल बम्बई,दिल कोल्कोत्ता,दिल बंगलोर
क्या करूं मैं अपना,उसका,इसका,तेरा,सबका....
एक दिल,एक जान....
टंटे लाखों,लफड़े हज़ार
मुझे माफ़ करो
एक लाइफ दे दो ना सीदी सादी सी
प्लीज़
प्लीज़
प्लीज़
थंक उ